नेपाल में भूकंप के तेज़ झटके, भारत में भी महसूस किए गए
काठमांडू, 28 फरवरी 2025: नेपाल में आज सुबह दो बार भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के अनुसार, पहला भूकंप सुबह 2:35 बजे सिंधुपालचोक जिले के भैरव कुंडा क्षेत्र में आया, जिसकी तीव्रता 6.1 रिक्टर स्केल पर दर्ज की गई। इसके कुछ ही देर बाद 2:51 बजे दूसरा भूकंप काठमांडू से 65 किलोमीटर पूर्व में आया, जिसकी तीव्रता 5.5 रिक्टर स्केल मापी गई।
ये झटके नेपाल के कई इलाकों के साथ-साथ भारत के बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए। भूकंप विज्ञानियों के अनुसार, यह क्षेत्र पहले भी कई बड़े भूकंप झेल चुका है, इसलिए आफ्टरशॉक्स (भूकंप के बाद आने वाले छोटे झटके) की संभावना बनी हुई है।
भूकंप के प्रभाव और नुकसान की स्थिति
अब तक किसी भी तरह के जान-माल के बड़े नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कुछ इलाकों में हल्की तबाही की खबरें आ रही हैं। नेपाल के गृह मंत्रालय के अनुसार, सिंधुपालचोक और दोलखा जिलों में कुछ मकानों में दरारें आई हैं, और कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है।
स्थानीय प्रशासन ने एहतियातन बचाव और राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। पुलिस और राहत टीमों को सतर्क कर दिया गया है, और प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को खुले स्थानों पर रहने की सलाह दी गई है।
भारत में भूकंप का असर
भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में भी हल्के झटके महसूस किए गए, खासकर पटना, सिलीगुड़ी और वाराणसी में। भूकंप के कारण लोग आधी रात को अपने घरों से बाहर निकल आए। हालाँकि, भारतीय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि भारत में किसी भी तरह की क्षति की सूचना नहीं है।
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने लोगों से घबराने के बजाय सतर्क रहने और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
भूकंप का वैज्ञानिक विश्लेषण
नेपाल और भारत का यह क्षेत्र भूकंप प्रवण (Seismic Zone) माना जाता है क्योंकि यह भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने की वजह से बनता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह भूकंप उसी भूकंपीय गतिविधि का परिणाम हो सकता है, जो इस क्षेत्र में पहले भी कई बार देखी गई है।
विशेषज्ञों ने बताया कि नेपाल में 2015 में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप ने हजारों लोगों की जान ली थी और भारी तबाही मचाई थी। इस बार स्थिति गंभीर नहीं है, लेकिन आफ्टरशॉक्स (भूकंप के बाद आने वाले झटके) से बचने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
नेपाल सरकार ने स्थिति पर नज़र बनाए रखने के लिए आपातकालीन बैठक बुलाई है। गृह मंत्रालय ने स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने और भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की निगरानी करने का निर्देश दिया है।
नेपाल पुलिस और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में तैनात की गई हैं। सरकार ने अस्पतालों को भी हाई अलर्ट पर रखा है, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
भूकंप के दौरान सुरक्षा उपाय
विशेषज्ञों और प्रशासन ने भूकंप से बचाव के लिए निम्नलिखित सुरक्षा उपाय सुझाए हैं:
- खुले स्थानों में रहें: भूकंप के दौरान ऊँची इमारतों और बिजली के खंभों से दूर रहें।
- घर के अंदर हों तो सिर और गर्दन को सुरक्षित करें: किसी मजबूत टेबल के नीचे छिपें और अपने सिर को किसी मजबूत चीज़ से ढकें।
- लिफ्ट का उपयोग न करें: भूकंप के दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है।
- गैस और बिजली के उपकरण बंद करें: किसी भी तरह की आग लगने से बचने के लिए गैस और बिजली उपकरणों को बंद कर दें।
- आधिकारिक निर्देशों का पालन करें: सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें और अफवाहों पर ध्यान न दें।
भविष्य की संभावनाएँ और तैयारियाँ
नेपाल और भारत की सरकारें अब भूकंप आपदा प्रबंधन योजनाओं को और मजबूत बनाने पर विचार कर रही हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में आने वाले वर्षों में और अधिक भूकंपीय गतिविधियाँ हो सकती हैं।
इसके चलते नेपाल में भूकंप प्रतिरोधी इमारतों के निर्माण को बढ़ावा देने की योजना बनाई जा रही है। भारत में भी आपदा प्रबंधन एजेंसियों को और अधिक संसाधनों और तकनीकी उपकरणों से लैस किया जा रहा है।
निष्कर्ष
नेपाल में आज आए 6.1 और 5.5 तीव्रता के दो भूकंपों ने लोगों को डरा दिया, लेकिन सौभाग्य से अब तक कोई बड़ा नुकसान दर्ज नहीं किया गया है। नेपाल और भारत के आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से सतर्क हैं और राहत कार्यों को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं।
स्थानीय लोगों को सतर्कता बरतने और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है। वैज्ञानिकों ने भविष्य में भी ऐसे झटकों की संभावना जताई है, इसलिए इस क्षेत्र में भूकंप-रोधी संरचनाओं और आपदा प्रबंधन योजनाओं को सुदृढ़ करने की जरूरत है।
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए सतर्कता, जागरूकता और सही आपदा प्रबंधन की योजना बनाना आवश्यक है।