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भारत की GDP से जुड़ी ताज़ा खबरें (फरवरी 2025)

भारत की अर्थव्यवस्था (GDP) ने अक्टूबर-दिसंबर 2024 की तिमाही में 6.2% की वृद्धि दर्ज की है। यह जुलाई-सितंबर 2024 की 5.6% की वृद्धि दर से तेज़ है, लेकिन पिछले वर्ष की समान तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2023) की 9.5% वृद्धि से कम है। सरकार और वित्तीय संस्थानों की ओर से इसे संतुलित वृद्धि बताया जा रहा है, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय बाजार की मजबूती को दर्शाता है।

GDP वृद्धि के मुख्य कारण:

  1. सरकारी खर्च में वृद्धि – सरकार ने बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर), सड़क निर्माण और रेलवे के विकास में अधिक खर्च किया। इससे निर्माण और संबद्ध उद्योगों को बढ़ावा मिला।
  2. कृषि और ग्रामीण मांग में सुधार – अच्छी फसल और ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मांग से अर्थव्यवस्था को समर्थन मिला। सरकार की विभिन्न योजनाओं, जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, का भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
  3. मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र का अच्छा प्रदर्शन – मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुधार और आईटी, बैंकिंग जैसे सेवा क्षेत्रों की मजबूती से GDP को गति मिली। टेक्नोलॉजी और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के चलते सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।

चुनौतियां और आर्थिक सुस्ती के कारण:

  1. वैश्विक व्यापार में गिरावट – भारत के निर्यात पर असर पड़ा है, जिससे औद्योगिक उत्पादन धीमा रहा। अमेरिका और यूरोप में आर्थिक मंदी के कारण भारतीय निर्यातकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  2. उच्च ब्याज दरें – महंगाई को नियंत्रित करने के लिए RBI ने पहले ब्याज दरें ऊंची रखी थीं, जिससे उधारी महंगी हो गई थी और निवेश की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ी। हालांकि, इसमें धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
  3. निजी खपत में कमी – कुछ सेक्टर्स में उपभोक्ता खर्च में सुस्ती देखी गई है। विशेष रूप से ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट क्षेत्रों में मांग थोड़ी कमजोर रही है।

RBI का कदम और भविष्य की संभावनाएं:

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने फरवरी 2025 में ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिए हैं, जिससे लोन सस्ता होने और निवेश बढ़ने की संभावना है। इससे अगले कुछ महीनों में अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिल सकती है। साथ ही, सरकार के नए बजट में स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों के लिए प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा की गई है, जिससे MSME सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा।

2024-25 के लिए GDP अनुमान:

  1. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP वृद्धि 6.5% रहने का अनुमान है।
  2. पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में यह 8.2% थी, यानी इस बार धीमी गति से बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन स्थिर विकास की संभावना बनी हुई है।
  3. मुद्रास्फीति में गिरावट – जनवरी 2025 तक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति 4.8% तक आ गई है, जो सरकार और RBI की 4-6% के लक्ष्य सीमा में है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारत:

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन, अमेरिका और यूरोपीय देशों में आर्थिक अनिश्चितता बनी हुई है। हाल ही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती और चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती के चलते भारत के लिए वैश्विक व्यापारिक अवसरों में बदलाव आ सकता है।

आगामी निवेश और विकास योजनाएं:

  1. मेक इन इंडिया और PLI स्कीम – सरकार उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं (PLI) के तहत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को और बढ़ावा देने की योजना बना रही है।
  2. ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन मिशन – भारत ने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा में 500 गीगावाट का लक्ष्य रखा है, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
  3. डिजिटल और स्टार्टअप सेक्टर – सरकार की नीतियों से फिनटेक, ई-कॉमर्स और एड-टेक स्टार्टअप्स को नई ऊंचाइयों पर पहुंचने में मदद मिल रही है।

निष्कर्ष:

भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी अच्छी गति से बढ़ रही है, लेकिन वैश्विक मंदी, ब्याज दरें और निजी खपत की सुस्ती कुछ चुनौतीपूर्ण पहलू बने हुए हैं। हालांकि, सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश, RBI की नीतियों और स्टार्टअप्स तथा हरित ऊर्जा क्षेत्रों को दिए जा रहे समर्थन से आने वाले समय में आर्थिक गतिविधियों को और गति मिल सकती है।

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