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भारतीय रुपये की गिरावट: कारण, असर और फायदे-नुकसान

भारतीय रुपया लगातार गिर रहा है, और इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं। चलिए इसे सरल शब्दों में समझते हैं और यह भी देखते हैं कि इससे भारत को फायदा हो रहा है या नुकसान।


रुपये के गिरने के मुख्य कारण

  1. अमेरिकी डॉलर की मजबूती – जब अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो निवेशक अपना पैसा भारत जैसे उभरते बाजारों से निकालकर अमेरिका में निवेश करते हैं। इससे डॉलर की मांग बढ़ती है और रुपया कमजोर होता है।
  2. आयात ज्यादा, निर्यात कम – भारत पेट्रोलियम, सोना, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी चीज़ें भारी मात्रा में आयात करता है। जब आयात ज्यादा होता है, तो डॉलर की मांग बढ़ती है, जिससे रुपया गिरता है।
  3. विदेशी निवेश की कमी – अगर विदेशी कंपनियां भारत में निवेश कम करती हैं या अपने पैसे वापस ले जाती हैं, तो रुपये की मांग घटती है और इसकी कीमत गिरती है।
  4. भू-राजनीतिक कारण – रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान टेंशन, और वैश्विक मंदी जैसी घटनाएं भी रुपये को प्रभावित करती हैं।
  5. महंगाई (Inflation) – अगर भारत में महंगाई ज्यादा होती है और विकास की रफ्तार कम होती है, तो रुपये की वैल्यू कम हो जाती है।

रुपये की गिरावट से फायदा या नुकसान?

नुकसान

फायदा


उदाहरण के साथ समझें

Case 1: रुपये की गिरावट से नुकसान

मान लीजिए कि रुपया 1 USD = 75 INR था और अब गिरकर 1 USD = 85 INR हो गया।

Case 2: रुपये की गिरावट से फायदा

एक भारतीय आईटी कंपनी अमेरिका में एक प्रोजेक्ट कर रही है और उसे 10,000 डॉलर की पेमेंट मिलनी है।


निष्कर्ष

रुपये की गिरावट का असर अलग-अलग लोगों पर अलग तरह से पड़ता है।

इसलिए, रुपये का बहुत ज्यादा गिरना अच्छा नहीं है, लेकिन हल्की गिरावट कुछ सेक्टरों के लिए फायदेमंद हो सकती है।

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