Grey Market Premium explained Types of IPO issues (Fresh Issue vs OFS)IPO investment guide for beginners

IPO Kya Hota Hai?

जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर आम जनता को बेचने के लिए शेयर बाजार में लाती है, तो इसे IPO (Initial Public Offering) यानी प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव कहा जाता है। आसान भाषा में कहें तो जब कोई कंपनी अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए आम लोगों से पूंजी (फंड) जुटाती है और इसके बदले उन्हें शेयर देती है, तो इसे IPO कहा जाता है।

IPO आने के बाद कंपनी स्टॉक एक्सचेंज (जैसे BSE और NSE) में सूचीबद्ध हो जाती है और लोग इसके शेयर खरीद या बेच सकते हैं। यह कंपनियों के लिए अपने व्यवसाय को विस्तार देने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।

IPO Ke Prakar (Types of IPO Issue)

IPO मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:

1. Fresh Issue (नया इश्यू)

इस प्रकार के IPO में कंपनी नए शेयर जारी करती है और इससे प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग कंपनी के विस्तार, कर्ज चुकाने या अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी कंपनी को अपने प्लांट का विस्तार करना है और उसके पास पर्याप्त फंड नहीं है, तो वह IPO लाकर आम जनता से पूंजी जुटा सकती है।

2. Offer for Sale (OFS) यानी बिक्री के लिए प्रस्ताव

इस प्रकार के IPO में कंपनी के मौजूदा निवेशक, प्रमोटर्स, या अन्य शेयरधारक अपने हिस्से के शेयर बाजार में बेचते हैं। इससे उन्हें लाभ होता है, लेकिन कंपनी को कोई सीधा फंड नहीं मिलता।

IPO Ka Process (IPO लाने की प्रक्रिया)

  1. SEBI से मंजूरी लेना: कोई भी कंपनी IPO लाने से पहले भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से अनुमति लेती है।
  2. Underwriters की नियुक्ति: कंपनी IPO को सुचारू रूप से लाने के लिए निवेश बैंक, वित्तीय संस्थान और अंडरराइटर्स नियुक्त करती है।
  3. Draft Red Herring Prospectus (DRHP) दाखिल करना: यह एक दस्तावेज होता है जिसमें कंपनी की पूरी जानकारी दी जाती है।
  4. IPO प्राइस तय करना: कंपनी दो तरीकों से शेयरों का प्राइस तय कर सकती है:
    • Fixed Price Issue: जहां कंपनी पहले से ही शेयर का एक निश्चित मूल्य तय कर देती है।
    • Book Building Issue: जहां शेयर की एक प्राइस रेंज दी जाती है और निवेशक अपनी बोली लगाते हैं।
  5. Subscription (सब्सक्रिप्शन) प्रक्रिया: निवेशक IPO में आवेदन करते हैं, और अगर IPO अधिक सब्सक्राइब हो जाता है, तो शेयरों का आवंटन लॉटरी सिस्टम के आधार पर किया जाता है।
  6. Listing on Stock Exchange: IPO के सफल होने के बाद कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज (BSE, NSE) पर लिस्ट हो जाते हैं, और फिर इनकी ट्रेडिंग शुरू होती है।

GMP (Grey Market Premium) Kya Hota Hai?

IPO में निवेश करने से पहले GMP (Grey Market Premium) को समझना जरूरी होता है।

  • Grey Market (ग्रे मार्केट) एक अनौपचारिक बाजार होता है, जहाँ शेयरों की ट्रेडिंग IPO लिस्टिंग से पहले ही शुरू हो जाती है।
  • GMP (Grey Market Premium) यह बताता है कि बाजार में निवेशक उस IPO को लेकर कितने उत्साहित हैं।

उदाहरण के लिए, अगर किसी IPO का GMP ₹100 चल रहा है और उसका इश्यू प्राइस ₹500 है, तो इसका मतलब है कि उसकी लिस्टिंग ₹600 (₹500 + ₹100) के आसपास हो सकती है।

हालांकि, सिर्फ GMP देखकर निवेश करना सही नहीं होता, क्योंकि कभी-कभी ग्रे मार्केट में ज्यादा GMP होने के बावजूद लिस्टिंग के समय शेयर की कीमत गिर सकती है।

IPO Me Invest Karne Ke Fayde (IPO में निवेश के फायदे)

  1. Listing Gains (शेयर लिस्टिंग पर फायदा) – अगर IPO अच्छे प्रीमियम पर लिस्ट होता है, तो निवेशकों को पहले ही दिन अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
  2. लॉन्ग-टर्म ग्रोथ – अगर कंपनी अच्छी प्रदर्शन करती है, तो लंबे समय में उसके शेयर का मूल्य बढ़ सकता है।
  3. Ownership in Company – IPO के जरिए आप किसी कंपनी के हिस्सेदार (शेयरहोल्डर) बन जाते हैं।
  4. कम निवेश में बड़ा फायदा – IPO में कई बार शेयरों का मूल्य कम रहता है और बाद में उनकी कीमत बढ़ने की संभावना रहती है।

IPO Me Invest Karne Se Pehle Kin Baaton Ka Dhyan Rakhen?

  1. Issue Type (इश्यू का प्रकार – Fresh Issue या OFS) – Fresh Issue में पैसा कंपनी को जाता है, जबकि OFS में मौजूदा निवेशकों को।
  2. GMP (Grey Market Premium) – यह लिस्टिंग गेन (शेयर बाजार में पहले दिन के लाभ) का संकेत देता है, लेकिन हमेशा इस पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
  3. Sector (कंपनी किस उद्योग में काम करती है?) – हाई ग्रोथ सेक्टर (जैसे IT, फार्मा, फिनटेक) में अच्छे रिटर्न की संभावना होती है।
  4. IPO Size (इश्यू का आकार) – बड़ी कंपनियों का IPO आमतौर पर ज्यादा स्थिर होता है, जबकि छोटे IPO में ज्यादा अस्थिरता (वोलैटिलिटी) हो सकती है।
  5. Financials & Fundamentals (वित्तीय स्थिति और बुनियादी कारक) – कंपनी का मुनाफा, ग्रोथ, कर्ज, और मैनेजमेंट टीम कैसी है, यह देखना जरूरी है।
  6. Subscription Status (सब्सक्रिप्शन की स्थिति) – खुदरा निवेशक (Retail), बड़े संस्थागत निवेशक (QIB – Qualified Institutional Buyers) और अमीर निवेशकों (HNI – High Net Worth Individuals) द्वारा कितनी बार IPO सब्सक्राइब हुआ है, यह उसकी डिमांड बताता है।

IPO Me Invest Kaise Kare? (IPO में निवेश कैसे करें?)

IPO में निवेश करने के लिए आपके पास एक Demat और Trading Account होना जरूरी है। आप निम्नलिखित तरीकों से IPO में निवेश कर सकते हैं:

  1. UPI के जरिए ऑनलाइन आवेदन: Zerodha, Groww, Angel Broking, और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर UPI के माध्यम से आवेदन किया जा सकता है।
  2. ASBA (Application Supported by Blocked Amount) प्रक्रिया: इसमें बैंक आपके खाते से पैसे ब्लॉक कर देता है और IPO अलॉटमेंट के बाद ही कटौती करता है।
  3. Brokers के जरिए आवेदन: आप अपने स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से भी IPO में निवेश कर सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

IPO में निवेश करने से पहले GMP, कंपनी की वित्तीय स्थिति, सेक्टर और इश्यू टाइप को समझना बहुत जरूरी है। सिर्फ GMP देखकर निवेश करना सही नहीं होता, बल्कि कंपनी के भविष्य की संभावनाओं को भी देखना चाहिए।

IPO में निवेश करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन इसके लिए सही रिसर्च और समझदारी जरूरी है। अगर आपको IPO से जुड़ा कोई और सवाल हो तो जरूर पूछें!

 

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