शेयर बाजार में हाहाकार: Sensex-Nifty में भारी गिरावट, क्या रही वजह?
भारत के शेयर बाजार में हाल ही में भारी गिरावट देखी गई, जिसने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) दोनों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिससे लाखों निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। बाजार में इस उथल-पुथल के पीछे कई कारण हैं, जिनमें वैश्विक आर्थिक कारक, घरेलू नीतियां, और निवेशकों की धारणा शामिल हैं। इस लेख में, हम विस्तार से उन कारणों की जांच करेंगे जिनकी वजह से भारतीय शेयर बाजार में यह भारी गिरावट आई।
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट: मौजूदा स्थिति
7 मार्च 2025 को, भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स लगभग 1,500 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 50 भी 500 अंकों से अधिक टूट गया। यह गिरावट भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में सबसे बड़ी एक-दिवसीय गिरावटों में से एक मानी जा रही है।
गिरावट के प्रमुख कारण
1. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता
अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि और वैश्विक मंदी की आशंका के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपने पैसे निकाल रहे हैं। उच्च ब्याज दरें डॉलर को मजबूत बना रही हैं, जिससे उभरते बाजारों, विशेष रूप से भारत, से पूंजी बाहर जा रही है।
2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली (FII Sell-Off)
फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (Foreign Institutional Investors – FII) भारतीय बाजार में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। हाल ही में, FIIs ने भारतीय बाजार में भारी बिकवाली की, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई। जनवरी और फरवरी 2025 के दौरान, FIIs ने लगभग 30,000 करोड़ रुपये की निकासी की है।
3. घरेलू आर्थिक मंदी के संकेत
भारत में हाल के महीनों में आर्थिक वृद्धि की गति धीमी हुई है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP वृद्धि दर के अनुमानों को 6.5% से घटाकर 5.8% कर दिया गया है। इस मंदी के कारण निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है, जिससे बाजार में बिकवाली बढ़ गई।
4. रुपये की कमजोरी
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कमजोरी भी शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। हाल ही में रुपया 85 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंच गया, जिससे विदेशी निवेशकों का भरोसा डगमगाया और उन्होंने भारतीय संपत्तियों से पैसा निकालना शुरू कर दिया।
5. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
कच्चे तेल की कीमतों में अचानक हुई वृद्धि ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव डाला है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का 85% हिस्सा आयात करता है, और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें महंगाई (inflation) को बढ़ावा देती हैं, जिससे कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ जाती है और उनका मुनाफा कम होता है।
6. टेक्नोलॉजी और IT कंपनियों पर दबाव
भारत की IT और टेक्नोलॉजी कंपनियां वैश्विक आर्थिक स्थितियों पर निर्भर करती हैं। अमेरिका और यूरोप में मंदी की आशंका के चलते इन कंपनियों के लिए नए ऑर्डर और क्लाइंट्स मिलना मुश्किल हो रहा है। इन्फोसिस, टीसीएस, विप्रो और एचसीएल टेक जैसी कंपनियों के शेयरों में 3-5% तक की गिरावट देखी गई।
7. बजट और नीतिगत घोषणाओं से जुड़ी अनिश्चितता
हाल ही में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025 में कुछ उद्योगों को लेकर निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ गई है। विशेष रूप से, सरकार की नई कैपिटल गेन टैक्स पॉलिसी और निजी क्षेत्र में बढ़ते कर अनुपालन से शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
निवेशकों को कितना नुकसान हुआ?
भारतीय शेयर बाजार में इस गिरावट के कारण निवेशकों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- बीएसई (BSE) में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण ₹5 लाख करोड़ से अधिक घट गया।
- कई मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में 7-10% तक की गिरावट देखी गई।
- खुदरा निवेशकों (Retail Investors) को भारी नुकसान हुआ, जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में तेजी के दौरान निवेश किया था।
क्या निवेशकों को घबराना चाहिए?
हालांकि बाजार में गिरावट चिंता का विषय हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह एक अवसर भी हो सकता है। इतिहास गवाह है कि हर गिरावट के बाद शेयर बाजार ने रिकवरी की है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी है और जल्द ही बाजार फिर से संभल सकता है।
आगे क्या हो सकता है?
1. सरकार और RBI की भूमिका
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार बाजार को स्थिर करने के लिए कई कदम उठा सकते हैं, जैसे:
- ब्याज दरों को संतुलित करना
- विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नई नीतियां बनाना
- रुपए को मजबूत करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करना
2. निवेशकों के लिए सुझाव
निवेशकों को घबराने के बजाय समझदारी से निर्णय लेने चाहिए। कुछ प्रमुख सुझाव इस प्रकार हैं:
- घबराकर अपनी होल्डिंग न बेचें – यदि आपने अच्छे फंडामेंटल वाले स्टॉक्स में निवेश किया है, तो उन्हें बनाए रखें।
- सही अवसर का इंतजार करें – गिरावट के दौरान उच्च गुणवत्ता वाले स्टॉक्स खरीदने का यह सही समय हो सकता है।
- म्यूचुअल फंड और SIP जारी रखें – लंबे समय में SIP निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिलते हैं।
- तकनीकी और फंडामेंटल एनालिसिस करें – बाजार में एंट्री करने से पहले रिसर्च करें।
निष्कर्ष
शेयर बाजार में हाल की गिरावट कई घरेलू और वैश्विक कारकों का परिणाम है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक मंदी की चिंताएं, रुपये की कमजोरी, और घरेलू आर्थिक नीतियों की अनिश्चितता ने बाजार को प्रभावित किया है। हालांकि, बाजार में गिरावट हमेशा निवेशकों के लिए एक अवसर भी लेकर आती है।
जो निवेशक धैर्य रखकर सही रणनीति अपनाते हैं, वे इस अस्थिरता से भी लाभ कमा सकते हैं। लंबी अवधि में, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद बाजार को फिर से स्थिर कर सकती है, और निवेशकों को अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना बनी रहेगी।