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महाशिवरात्रि का महत्व, तिथि और इससे जुड़ी कथाएँ

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करते हैं। यह दिन आत्मशुद्धि, भक्ति और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व यह है कि इस दिन ध्यान और साधना से व्यक्ति अपनी आत्मा को जागृत कर सकता है। इसे शिव और शक्ति (पुरुष और प्रकृति) के मिलन का दिन भी माना जाता है।


महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है?

महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह आमतौर पर फरवरी या मार्च के महीने में आती है।


महाशिवरात्रि से जुड़ी प्रमुख कथाएँ

1. शिव और पार्वती का विवाह

मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। माता पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उनसे विवाह किया। इसलिए यह दिन शिव-पार्वती के दिव्य मिलन के रूप में मनाया जाता है।

2. समुद्र मंथन और नीलकंठ की कथा

देवताओं और असुरों ने जब समुद्र मंथन किया, तो उसमें से अमृत के साथ-साथ एक अत्यंत विषैला हलाहल विष भी निकला, जो संपूर्ण सृष्टि को नष्ट कर सकता था। तब भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया और उसे निगला नहीं। इस कारण उनका कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। यह घटना शिवरात्रि के दिन हुई थी, इसलिए इस दिन को विष को नष्ट करने वाले शिव की पूजा के रूप में मनाया जाता है।

3. लिंगोद्भव कथा

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। तभी उनके सामने एक विशाल अग्नि स्तंभ (ज्योतिर्लिंग) प्रकट हुआ, जिसका न तो कोई आदि था और न ही कोई अंत। दोनों ने इसके छोर को खोजने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे। तभी भगवान शिव उस अग्नि स्तंभ से प्रकट हुए और बताया कि वे ही सृष्टि के आदि और अनंत हैं। इस घटना के उपलक्ष्य में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

4. शिकारी और शिवलिंग की पूजा

एक लोककथा के अनुसार, एक शिकारी जंगल में शिकार की तलाश में निकला। रात होने पर वह एक बेल के पेड़ पर चढ़कर बैठ गया। भूख और प्यास से व्याकुल होकर वह रोने लगा और अनजाने में पेड़ से बेलपत्र तोड़कर नीचे गिराने लगा, जो एक शिवलिंग पर गिरे। पूरी रात ऐसा करने से उसने अज्ञानतावश शिव की पूजा कर ली, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे आशीर्वाद दिया और उसके सारे पाप समाप्त हो गए।


कैसे मनाई जाती है महाशिवरात्रि?


महाशिवरात्रि भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और आध्यात्मिक जागरण का पर्व है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्यक्ति को आत्मशुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का अवसर भी देता है।

ओम नमः शिवाय

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