Trump’s new tariff plan

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत में मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर की सहायता राशि पर सवाल उठाए हैं, जिससे भारत और अमेरिका के बीच राजनीतिक चर्चाओं का नया दौर शुरू हो गया है। ट्रंप ने इस फंडिंग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए टिप्पणी की कि भारत को इस राशि की आवश्यकता नहीं है।

फंडिंग का उद्देश्य और विवाद

अमेरिकी सरकार ने 2022 में भारत में मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर की सहायता राशि मंजूर की थी। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यह राशि दरअसल बांग्लादेश के लिए थी, न कि भारत के लिए। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह फंडिंग बांग्लादेश के लिए थी, जिससे विवाद और बढ़ गया।

ट्रंप की टिप्पणियां

ट्रंप ने इस फंडिंग पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मेरे मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत को चुनाव में वोटर टर्नआउट के लिए 21 मिलियन डॉलर दिए जा रहे हैं। लेकिन हमारा क्या? मैं भी वोटर टर्नआउट चाहता हूं।”

भारत की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने इस फंडिंग को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “ट्रंप प्रशासन के लोगों द्वारा कुछ जानकारी सामने रखी गई है, और जाहिर है, यह चिंताजनक है… मुझे लगता है कि सरकार के तौर पर हम इसकी जांच कर रहे हैं। मेरा मानना है कि तथ्य सामने आएंगे…”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

भारतीय राजनीति में इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, “मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर? यह निश्चित रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है। इससे किसे लाभ होता? निश्चित रूप से सत्तारूढ़ पार्टी को नहीं!”

निष्कर्ष

अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान ने भारत और अमेरिका के बीच राजनीतिक चर्चाओं को नया मोड़ दिया है। जहां एक ओर रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग बांग्लादेश के लिए थी, वहीं ट्रंप के बयान ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। अब देखना यह होगा कि इस विवाद पर आगे क्या developments होते हैं और दोनों देशों के बीच संबंधों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

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