भारतीय रुपया लगातार गिर रहा है, और इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं। चलिए इसे सरल शब्दों में समझते हैं और यह भी देखते हैं कि इससे भारत को फायदा हो रहा है या नुकसान।
रुपये के गिरने के मुख्य कारण
- अमेरिकी डॉलर की मजबूती – जब अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो निवेशक अपना पैसा भारत जैसे उभरते बाजारों से निकालकर अमेरिका में निवेश करते हैं। इससे डॉलर की मांग बढ़ती है और रुपया कमजोर होता है।
- आयात ज्यादा, निर्यात कम – भारत पेट्रोलियम, सोना, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी चीज़ें भारी मात्रा में आयात करता है। जब आयात ज्यादा होता है, तो डॉलर की मांग बढ़ती है, जिससे रुपया गिरता है।
- विदेशी निवेश की कमी – अगर विदेशी कंपनियां भारत में निवेश कम करती हैं या अपने पैसे वापस ले जाती हैं, तो रुपये की मांग घटती है और इसकी कीमत गिरती है।
- भू-राजनीतिक कारण – रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान टेंशन, और वैश्विक मंदी जैसी घटनाएं भी रुपये को प्रभावित करती हैं।
- महंगाई (Inflation) – अगर भारत में महंगाई ज्यादा होती है और विकास की रफ्तार कम होती है, तो रुपये की वैल्यू कम हो जाती है।
रुपये की गिरावट से फायदा या नुकसान?
नुकसान
- महंगा आयात – भारत कच्चा तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और दवाओं के कच्चे माल का बड़ा हिस्सा आयात करता है। रुपये के कमजोर होने से ये चीजें महंगी हो जाती हैं, जिससे महंगाई बढ़ती है।
- विदेशों में पढ़ाई और घूमना महंगा – अगर कोई भारतीय छात्र अमेरिका, यूरोप या किसी और देश में पढ़ाई कर रहा है, तो उसे ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसी तरह, विदेश यात्रा भी महंगी हो जाती है।
- सरकारी घाटा बढ़ता है – जब आयात ज्यादा महंगा हो जाता है, तो सरकार को ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है, जिससे देश का वित्तीय घाटा बढ़ सकता है।
फायदा
- निर्यातकों को फायदा – आईटी सेक्टर, टेक्सटाइल, फार्मा और ऑटोमोबाइल कंपनियां जो अपने प्रोडक्ट्स विदेशों में बेचती हैं, उन्हें रुपये की कमजोरी का फायदा होता है क्योंकि उन्हें डॉलर में ज्यादा पैसा मिलता है।
- टूरिज्म सेक्टर को फायदा – विदेशी पर्यटकों के लिए भारत सस्ता हो जाता है, जिससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता है।
- विदेश में काम करने वाले भारतीयों को फायदा – अगर कोई भारतीय अमेरिका, खाड़ी देशों या यूरोप में काम करता है और अपने परिवार को पैसा भेजता है, तो उसे रुपये में ज्यादा मूल्य मिलेगा।
उदाहरण के साथ समझें
Case 1: रुपये की गिरावट से नुकसान
मान लीजिए कि रुपया 1 USD = 75 INR था और अब गिरकर 1 USD = 85 INR हो गया।
- भारत को 1 बैरल कच्चे तेल के लिए पहले 75 रुपये खर्च करने पड़ते थे, लेकिन अब उसी के लिए 85 रुपये खर्च करने होंगे।
- इससे पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ेंगे और ट्रांसपोर्ट महंगा हो जाएगा, जिससे बाकी चीज़ों की कीमतें भी बढ़ेंगी।
Case 2: रुपये की गिरावट से फायदा
एक भारतीय आईटी कंपनी अमेरिका में एक प्रोजेक्ट कर रही है और उसे 10,000 डॉलर की पेमेंट मिलनी है।
- जब 1 USD = 75 INR था, तो उसे 7,50,000 रुपये मिलते थे।
- अब अगर 1 USD = 85 INR हो गया, तो उसे 8,50,000 रुपये मिलेंगे।
- यानी बिना कुछ किए उसे 1 लाख रुपये ज्यादा मिल रहे हैं!
निष्कर्ष
रुपये की गिरावट का असर अलग-अलग लोगों पर अलग तरह से पड़ता है।
- आम आदमी को नुकसान होता है क्योंकि महंगाई बढ़ जाती है।
- निर्यातकों और विदेश में काम करने वालों को फायदा होता है क्योंकि उन्हें रुपये में ज्यादा पैसा मिलता है।
- सरकार के लिए मिलाजुला असर होता है—महंगे आयात से घाटा बढ़ता है, लेकिन निर्यात से कमाई भी होती है।
इसलिए, रुपये का बहुत ज्यादा गिरना अच्छा नहीं है, लेकिन हल्की गिरावट कुछ सेक्टरों के लिए फायदेमंद हो सकती है।